आॅफिस जाने की जल्दी में अगर कोई आॅटो रुकवाकर किसी से बात करने के लिए आतुर हो जाए, तो पक्की बात है की कुछ ख़ास होगा. प्रगति मैदान के बड़े वाले हनुमान जी से जैसे ही आॅटो ने टर्न लिया, दूर से बसपा का नीला झंडा दिखाई दिया.
मैं खुश...बसपा के झंडे को देखकर नहीं, बल्कि ये कयास लगाकर की हाथी देखने को मिलेगा. शुभ माना जाता है न...पर जैसे ही आॅटो मंडी हाउस मेट्रो स्टेशन पहुंचा, असलियत कुछ और ही निकली.
विकलांग वाली लोहे की साइकिल पर हर पार्टी का झंडा फहरा रहा था. भाजपा, बसपा, कांग्रेस, आप, समाजवादी पार्टी, कम्यूनिस्ट पार्टी और शायद एक-दो और...
सारे झंडे मिलकर छत्र जैसा काम कर रहे थे और बाबा के चारों ओर उनकी साइकिल पर हर प्रमुख हिंदू देवी-देवता की तस्वीर थी. थोड़ी जल्दी थी, इसलिए नाम नहीं पूछ पाई. बस इतना ही पूछा की बाबा, ये सारे झंडे एकसाथ क्यों...जो जवाब आया उसका अंदाज़ा भी आप नहीं लगा सकते...
बाबा ने कहा, हर पार्टी का राज है...चाहे कोई सत्ता में हो या न हो...सभी अपने तरीक़े से शासन कर रही हैं...जब जिसको मौका मिलता है...कर लेता है. झंडा एकसाथ इसलिए लगा रखा है ताकि इनमें से किसी भी शासक की नज़र पड़ जाए तो वो हमें दूसरी पार्टी का समझ नकार न दें...अपना झंडा देखकर खुश हो जाए और हमारा भी कल्याण करे.
भगवान को लेकर उनका काॅन्सेप्ट बहुत मज़ेदार निकला...बोले, जब तक कोई पार्टी का नेता सुध नहीं लेता है तब तक यही मेरा काम चला रहे हैं. लोग समझते हैं, हम कोई बहुत बड़े संत हैं, तो पैर छूते हैं. भगवान की फोटो सोच को यक़ीन करने लायक बना देती है और हमें रोटी मिल जाती है...
मैंने पूछा, बाबा फोटो खींच लूं...बोले खींच लो...पर चाय का पैसा देना होगा...बाबा को दस रूपए थमा, आॅटो में बैठ गई.
आॅटो वाला गुस्सा हो रहा था. बोला मैडम ये सब करोड़पति होते हैं. आपका दिल्ली में घर नहीं होगा पर इनका कहीं न कहीं एक कमरा ज़रूर होगा. धोखेबाज़ होते हैं ये...
पता नहीं जो बाबा ने कहा वो सच था या मेरे आॅटो वाले का कहा...लेकिन बाबा का लाॅजिक मुझे बहुत पसंद आया...
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