मकान खोज लिया है..
बस अब
उसे घर बनाने की तैयारी है..
एक भी पल के लिए अब दिमाग
शैतान का घर नहीं बनता
क्योंकि नए मकान में करने को बहुत कुछ है..
कभी रंग...कभी रौगन
बस यही सब सोचते हुए समय बीत रहा है..
कभी समय पांव रोक देते हैं
तो कभी जेब हाथ..
पर वो मकान मेरा घर बन ही जाएगा..
सच है कि
भौतिकता ने सामानों की लिस्ट बड़ी कर दी है..
वरना तो एक छत, चार दीवारी और दो हम
ही काफी थे.. उनके मकान को अपना घर बनाने के लिए
शायद ही उस सोफे पर बैठकर कभी टीवी देखने का वक्त मिले
पर बैठका सुंदर होना जरूरी है..
उस ईजी चेयर पर शायद ही कभी चाय की चुस्कियां ले पाऊं
पर वो भी एक कोने में सजा दी है...
जितनी कला थी मुझमें सब इस कमरे को
सजाने में उड़ेल दी है..
पर वो कोना सबसे सुंदर है
जहां तुम्हारे दिए बरसो पुराने फूल सजा रखे हैं..
वो सूखे फूल..
जिनकी खुश्बू आज भी उतनी ही मीठी है
जितनी की उस वक्त....
जब तुमने मेरे साथ घर बसाने की बात की थी..।।
19 comments:
भीनी भावनाओं की भावपूर्ण प्रस्तुति!
bahut saare rang se saja hai aapka ghar aur aapke ghar me khushbu phaili rahe hamesha ..........
bahut saare rangon se saja aur hamesha khushbu se bhara rahe aapka ghrar
bahut saare rango se saja rahe aapka ghar
जहां तुम्हारे दिए बरसो (बरसों )पुराने फूल सजा रखें हैं ........बेहतरीन बिम्बात्मक प्रस्तुति आधुनिक जीवन की औपचारिकताओं का पेट भरते जाने की ....
मकान में सुविधाएँ जुटाने के लिए इतनी भागदौड़ कि उनका उपभोग करने का समय ही नहीं बचता !
मकान और घर में स्मृतियों को उकेरा !
घर के लिए भौतिक सामानो की ज़रूरत नहीं ...मन की भावनाएं होनी चाहिए .... बहुत सुंदर
bahot sunder bhaw.....
आपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल बृहस्पतिवार 04-10 -2012 को यहाँ भी है
.... आज की नयी पुरानी हलचल में ....बड़ापन कोठियों में , बड़प्पन सड़कों पर । .
बहुत अच्छी कविता |
संवेदनाओं को बेहतर शब्द दिए हैं आपने ...!
एक भावपूर्ण रचना |
आशा
बहुत ही बढ़िया
आपके ब्लॉग पर आकर अच्छा लगा।
सादर
कलाकारी या कौशल से नहीं ,जहाँ अपनत्व और स्नेह की सुवास हो वहीं मन शान्ति और सुख पाता है !
मकान और घर का अंतर कितना बढ़ गया है इस भौतिकवादी युग में...बेहद सुन्दर भाव पूर्ण अभिव्यक्ति ...
अपने घर में थोड़ी सी जगह हमें भी दे दीजिएगा. तुषार
वो सूखे फूल..
जिनकी खुश्बू आज भी उतनी ही मीठी है
जितनी की उस वक्त....
जब तुमने मेरे साथ घर बसाने की बात की थी..।।
बहुत सुंदर चित्र खींचा है अपने ।
मधुर स्मृतियों से सजे झरोखे भी है घर में -बहुत सुंदर
आखरी पंग्तियाँ ..खल गई ..मार्मिक रचना दिल तक पहुची
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