शायद वही महान है.....
जिन्दगी की हर कड़वी याद जो भूल जाए
अपने ग़म भुलाकर सिर्फ दूसरों के लिए मुस्कुराए
अपने आंसू जिसे पीना आ जाए
शायद वही महान है....
अपनों को दुखी छोड़कर,परायों का नाम जपे
राह चलते खुद गिरे, पर दूसरों का सहारा बने
अपनी ही हंसी को दूसरों से उधार लेता-मांगता फिरे..
शायद वही महान है....
भीड़ में रहकर भी जो सबसे अकेला दिखे
जिसके आंसू पोंछने के लिए कोई हाथ न उठे
हजार बातें सुनकर भी जो उफ्फ तक न करे
शायद वही महान है...
क्षणिक प्यार के लिए मरने को भी जो तैयार रहे
पर एक सच्चे प्यार की जिसे उम्रभर तलाश रहे
झूठे वादों पर भी जिसे हरिश्चंद का-सा विश्वास रहे
शायद वही महान है...
गूंगा बनकर, कान तोपकर जीना जिसे आ जाए
लुट जाने के बाद भी सब ठीक है कहना जिसे आए
जिसका होना दूसरों के लिए आराम का सबब बन जाए
और एक धोखे के बाद जो अगले के लिए तैयार हो जाए
दुनिया के लिए तो बस वही महान है...
आग्रह है बचिए ऐसी महानता दिखाने से और महान बनने से..ऐसी महानता और बढ़ाई का क्या फायदा जो केवल दुख ही दे...
2 comments:
सच कहा, पर शायद नहीं यकीनन वही महान है....
सत्य मार्गदर्शन कराती हुई..
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