बॉलीवुड में कब क्या बदल जाए, कब क्या नया हो जाए और कब कौन सा पुराना ट्रेंड लेटेस्ट फैशन बन जाए, कुछ कहा नहीं जा सकता। संभावनाओं, कयासों और चर्चाओं की इस दुनिया में बदलाव रातों-रात होते हैं और दिनों-दिन टूटते भी हैं। यहां ट्रेंड बनते ही हैं कि टूट जाएं...और शायद यही एक वजह भी है कि बॉलीवुड कभी पुराना नहीं लगता। हर बार एक नया रूप..एक नया चलन...एक नई ताजगी..फिलहाल ट्रेंड है, वर्दी पहनकर गुंडई करने का। जहां पहले पुलिस का काम हीरो के सताए विलेन को और ज्यादा सताने का और र्सिफ हथकड़ी लगाने तक ही सीमित था वहीं आज पुलिस ही हीरो है..जो शुरू से लेकर अंत तक गुंडे के अवैध कामों पर नजर रखता है, उसके तथाकथित दाएं और बाएं हाथ को मार डालता है औ फिर अंत में बेचारे विलन को कानून के लंबे हाथों में जकड़ कर ले जाता है। जहां पहले पुलिस का किरदार केवल टाइम पास के लिए हुआ करता था वहीं आज वो लीड एक्टर है। लीड एक्टर माने जो हीरोइन को पुचकारता है..प्यार करता है..लोगों को नई राह दिखाता है और बुराई को हराता है। हालांकि कुछएक किरदार तब भी ऐसे हुए हैं जिसमें पुलिस का किरदार लीड में रहा है लेकिन कुछएक ही। पर अजय की सिंघम और सलमान की दबंग ने एक नया ट्रेंड शुरू कर दिया है। हां लेकिन इस तरह की िफल्मों को प्रदर्शित करने से पहले डिस्क्लेमर में ये जरूर जोड़ देना चाहिए कि इनहें देखकर रियल पुलिस के ऐसा हो जाने की कल्पना न ही करें...दुख होगा।
सलमान की दबंग का चुलबुल पांडेय, रॉबिन हुड से प्रेरित है और सिंघम एक ऐसा पुलिस वाला जो हमारे आपके बीच का ही लगता है और कोई शक नहीं है कि दोनों ही फिल्मों को दर्शकों ने खूब पसंद भी किया। कारण बस एक..बदलाव। पुलिस का रोल कभी इतना खास रहा ही नहीं ना तो रील लाइफ में और ना ही रियल लाइफ में। ऐसे में पुलिस को गंभीर और देश की सेवा में देखना लोगों को पसंद आया। वरना पुलिस औ दरोगा को र्सिफ मुन्नीबाई के चमचे और ठुमकों पर मरने वाला ही दिखाया जाता है, जो वाकई बहुत हद तक सच्चाई भी है ही।
लेकिन बॉलीवुड के लिहाज से देखें तो ये ट्रेंड किसी खोज से कम नहीं है और शायद ही कोई एक्टर या डाइरेक्टर इस मसाले को भुनाने में पीछे रहना चाहता हो। बड़े से बड़ा और छोटे से छोटा, एक्टर-डाइरेक्टर इस मसाले को परोसने की तैयारी में है। बड़े नामों की बात करें तो आिमिर खान एक लंबे समय बाद पुलिस की नौकरी करते दिखेगें। इससे पहले उन्होंने फिल्म सरफरोश में ऐसा ही किरदार निभाया था। इसके अलावा शूट आउट एट वडाला, जिला गाजियाबाद, मैक्सिमम जैसी फिल्में भी वर्दे पर आने की तैयारी में हैं। खुद को नंबर वन बताने वाले शाहरूख भी इसी जुगत में है कि कब वो भी सलमान और आमिर के बाद वो भी पुलिस वाले बनें।
फिलहाल ये दौर कब तक रहता है और कब तक पसंद किया जाता है ये तो कोई नहीं बता सकता हां पर इतना जरूर है कि, फिल्में बहुत कुछ सीखा जाती हैं। प्यार करना, दोस्ती करना फिल्मों ने ही सीखाया और अब उम्मीद करेंगे कि ऐसी फिल्मों को देखकर हमारे पुलिस वाले भी कुछ सीखें लेकिन र्सिफ पुलिस ही नहीं हम भी अपनी सोच थोड़ी बदलें...क्योंकि हर पुलिस वाला गुंडा नहीं हो सकता.....।
1 comment:
भेडचाल है.....
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