Thursday, May 24, 2012

क्‍योंकि उनके लिए तुम सिर्फ एक दिन हो.....

आज फिर एक साल पूरा हो गया, तुम दोनो को गए
पर हर साल की तरह दूसरों ने ये एहसास कराया
कि आज दुखी होना चाहिए..
क्‍योंकि आज ही तुम दोनों कुछ कहे बिना चले गए थे
नहीं पता वो ऐसा क्‍यों करते हैं...
कि जब भी मैं संभलने की कोशिश करती हूं
वो शब्‍दों के बाण छोड़ देते हैं...
हर महीने तुमसे जुड़ा एक दिन याद दिलाकर
वापस मुझे वहीं खड़ा कर देते हैं...
ताने देते हैं कि मैं तुम्‍हें याद नहीं करती..
पर उन्‍हें भला कैसे समझाऊं कि...
मैं तुम्‍हे चाहकर भी भूल नहीं पाती..
सच कहूं आज का दिन खुश होकर बिताना चाहती हूं
बरसों पहले जो तकलीफ आज मिली थी
उसे भुलाना चाहती हूं..
पता है तुम्‍हे आज हर उस शख्‍स ने याद किया
जिसे मेरा दूसरा नाम तक नहीं पता
सवाल लगभग एक से थे..
कैसी हो...याद नहीं करना..कोई वहां से लौट कर आया है भला
पर किसी ने ये नहीं पूछा कि पिछला साल कैसे बिताया
सब ठीक तो रहा..कुछ जरूरत हो तो बताना
इन कोरी संवेदनाओं से अब चिढ़ होने लगी है..
क्‍योंकि उनके लिए तुम सिर्फ एक दिन हो
पर मेरे लिए... मेरी सांस
जिसे याद करने के लिए दिन नहीं
सिर्फ जिंदा रहने की जरूरत है.....।।

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