पता है प्यार हो गया है मुझे
पर वैसा नहीं जैसा मीरा को अपने भगवान से हुआ था
ना ही वैसा जो राधा को अपने प्रियतम सांवरे से था
मेरा प्रेम सीता सा भी नहीं है
जो अपने पति राम के परित्याग को स्वीकार कर ले
पर ये सरल है.....
मुझे मीरा नहीं बनना
जिसे तुम्हारे प्यार के लिए संघर्ष करना पड़े
ना ही वो राधा जो तुम्हारी याद में रो भी ना सके
सीता तो कभी नहीं
जिसे तुम बस एकबार कहो और वो
महज दुनिया के लिए तुमसे अलग हो रहने लगे
हां..
जानती हूं कि इन सभी का प्रेम उदाहरण है
पर मुझे उदाहरण नहीं बनना
मुझे केवल तुम्हारा बनना है
तुम्हारे साथ रहना है, तुम्हे अपनाना है
तुम मेरे भगवान नहीं हो...
नाही मेरे प्रेमी
और ना तो मैं तुम्हें राजा मानती हूं
तुम केवल वो हो जिसके होने से मैं खुश हूं
जिसे देखना भी मेरे लिए उतना ही जरूरी है
जितना उसे महसूस करना
जिसे उतना ही सुनना चाहती हूं जितना सुनाना
उसे छूने की भी उतनी ही जरूरत है
जितना अकेले में उसका एहसास करना
जानती हूं..
बहुत हल्का है वजन इस प्रेम का
क्योंकि मैं भौतिकता नहीं छोड़ सकती..
सच कहूं छोड़ना चाहती ही नहीं
लेकिन यह सरल है..
जिसकी हर चाहत तुमसे ही पनपती और
बुझती है..।
पर वैसा नहीं जैसा मीरा को अपने भगवान से हुआ था
ना ही वैसा जो राधा को अपने प्रियतम सांवरे से था
मेरा प्रेम सीता सा भी नहीं है
जो अपने पति राम के परित्याग को स्वीकार कर ले
पर ये सरल है.....
मुझे मीरा नहीं बनना
जिसे तुम्हारे प्यार के लिए संघर्ष करना पड़े
ना ही वो राधा जो तुम्हारी याद में रो भी ना सके
सीता तो कभी नहीं
जिसे तुम बस एकबार कहो और वो
महज दुनिया के लिए तुमसे अलग हो रहने लगे
हां..
जानती हूं कि इन सभी का प्रेम उदाहरण है
पर मुझे उदाहरण नहीं बनना
मुझे केवल तुम्हारा बनना है
तुम्हारे साथ रहना है, तुम्हे अपनाना है
तुम मेरे भगवान नहीं हो...
नाही मेरे प्रेमी
और ना तो मैं तुम्हें राजा मानती हूं
तुम केवल वो हो जिसके होने से मैं खुश हूं
जिसे देखना भी मेरे लिए उतना ही जरूरी है
जितना उसे महसूस करना
जिसे उतना ही सुनना चाहती हूं जितना सुनाना
उसे छूने की भी उतनी ही जरूरत है
जितना अकेले में उसका एहसास करना
जानती हूं..
बहुत हल्का है वजन इस प्रेम का
क्योंकि मैं भौतिकता नहीं छोड़ सकती..
सच कहूं छोड़ना चाहती ही नहीं
लेकिन यह सरल है..
जिसकी हर चाहत तुमसे ही पनपती और
बुझती है..।
9 comments:
जीवन में प्रेम यही है , बाकी तो बस किस्से कहानियां ही सही !
बहुत ही उम्दा कविता ,प्रेम का चोखा रंग निराला अंदाज |मेरी पड़ोसन कवियित्री आभार |
वाह...
खूबसूरत रचना....
अनु
batkuchni par aakar bahut achha laga
मुझे उदाहरण बही बनना ....
आपकी कविता बहुत अच्छी लगी भले आपका कोई नाम नहीं हिया वो अलग बात है :)
वास्तव में यही प्रेम है .....जहाँ शब्दों का भी उतना ही महत्त्व है जितना मौन का .....जहाँ स्पर्श भी बोलते हैं ....जहाँ साथ का मतलब सिर्फ दोनों का आसपास होना है ..फिर चाहे वह अपने अपने कामों में लीन हों...बस साथ होने का अहसास और विश्वास बना रहे ...यही प्रेम है ....
बहुत-बहुत सुन्दर प्रेममयी रचना....
मनभावन...
हृदयस्पर्शी........
:-)
उम्दा भाव...बहुत खूब |
हुंह ..जहां उदात्तता नहीं वहां कैसा प्रेम ?
लोग तो प्रेम में जाने गँवा देते हैं ! :-)
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