शायद तुम्हें कभी ना समझा पाऊं कि
तुम मेरे लिए क्या हो...
शब्दों के फेर में पड़ना भी नहीं चाहती
क्योंकि तुमसे रिश्ता शब्दों का नहीं
भाव का है...।
वो भाव जो तुम्हांरे आने से ही पनपे...
याद है तुम्हें...
पहली बार जब तुमसे प्यार की बात स्वीकारी थी
आंखों में शर्म नहीं बस एक सवाल था...
जिसके लिए तुम कभी भी जवाबदेह थे ही नहीं।
सवाल उस भगवान से था
जिसने कभी आस्तिक बनने का मौका नहीं दिया था
पर तुम्हारे जवाब के बाद से नास्तिवक नहीं रह गई हूं।
पाखंड से बहुत दूर हूं...
पर छोटे से मंदिर के आगे भी
अनायास ही सिर झुक जाता है...
और केवल तुम्हारा ख्याल आता है...।
जानती हूं
तुम्हारे होते मैं दुखों से कोसों दूर हूं
तुम्हारी हर चिन्ता और फिकर केवल मैं हूं
फिर भी दिल में बेशुमार जलन है....
हर उस चीज से
जिसे तुम निहारते हो, जिसे तुम छूते हो...जिसे तुम सराहते हो..।
पर गलत मत समझना.. ये तुम्हारे लिए प्यार ही है..
जो मुझे ऐसा बना रहा है....।
चाहती हूं,
मैं केवल तुम्हारे देखने के लिए रहूं
तुम्हारा छूना और सराहना केवल मेरे लिए हो...।
अक्सर तुम्हारी हथेली पर गाल रखते ही आंसू बह जाते हैं,
पर तुम उदास मत होना..
ये दुख के आंसू नहीं हैं....।
दुनिया की सैकड़ों ठोकरों के बाद मिली
मंजिल को पाने का सुकून है....
तुम्हारे प्यार ने बहुत कुछ दिया है..।
इज्जत...ताकत....सबकुछ...
पर इन सबसे इतर...
अब तुम ही जीने का मकसद हो
तुम्हारे साथ खुद को बसाना चाहती हूं
खुद को
खुशियों में पलता देखना चाहती हूं।
सच कहूं जिन्दगी को जीना चाहती हूं।।
अब अपने ही हक के लिए
औरों से और लड़ना नहीं चाहती हूं...
तुम बस पास रहकर साथ देना..
जैसे आज हो...जैसे कल थे...
कि तुम्हारे भरोसे खुद को कभी अकेला नहीं पाया।
खुश हूं, बहुत ज्यादा...
बस अब और कुछ कहना भी नहीं चाहती..
मेरी गलतियों को समझना
क्योंकि जो सीखा है खुद ही सीखा है...
अच्छे-बुरे का भेद थोड़ा कम पता है..
पर सीखा देना...तुम्हे सीखना चाहती हूं
ताकि तुम्हें खुश देख सकूं
ताकि तुम्हारी हंसी से अपने होंठों को भी रंग सकूं।।
2 comments:
भावपूर्ण.
कभी कभी वैचारिक तरंग दैर्ध्य भी भाव साम्य के चलते संयुक्त हो जाते हैं -मैं हतप्रभ हूँ कल रात ऐसे ही, बिलकुल ऐसे विचार एक अप्रत्याशित घटना के बाद मन में कौधे तो सहसा यही इच्छा हुयी कि सार्वजनिक घोषणा कर दूं - ईश्वर का वजूद है -या नहीं तो फिर कोई जबरदस्त ईश्वरीय शक्ति है ---
भावों को इतने सहज ,निष्कपट , अवरोध हीन तरीके से कहना कोई आपसे सीखे!
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