कैसी होती होगी उन औरतों की जिंदगी
जिनके पास शब्दों की जगह
सिर्फ आंसू होते होंगे...
जिन्हें ये झूठा विश्वास दिलाकर मंडप में
बिठाया जाता होगा कि
इन सात फेरों के बाद वो हमेशा के लिए
सुरक्षित होंगी...
जबकि
शायद उसी दिन से उनके
सुरक्षित होने की कोई कीमत नहीं रह जाती..
जिस परमेश्वर के फेर में वो खुद को
मीरा मान दूर छोड़ आती हैं
उसी को खुद से कहीं भी जुड़ा नहीं पाती हैं..
कैसा होता होगा उनका जीवन
जिन्हें बोझ समझकर इस धोखे से ब्याह
दिया जाता होगा कि
उस अनजान घर में उनके लिए सिर्फ सुख
ही लिखा है..
पर मिलती उन्हें सिर्फ उपेक्षा है...
जिनके प्यार के सपने सजाकर वो
डोली चढ़ती हैं..
उसी प्यारे से एक मीठी बात सुनने को
जिंदगीभर तरसती हैं..
कैसी होती होगी उन औरतों की जिंदगी
जिनके पास अपने दुख से बड़ा कोई
साथी नहीं होता होगा...
कैसी होती होगी उन औरतों की जिंदगी
जिनका महज एक शरीर से ज्यादा
कोई वजूद नहीं होगा...
कैसी....?
जिनके पास शब्दों की जगह
सिर्फ आंसू होते होंगे...
जिन्हें ये झूठा विश्वास दिलाकर मंडप में
बिठाया जाता होगा कि
इन सात फेरों के बाद वो हमेशा के लिए
सुरक्षित होंगी...
जबकि
शायद उसी दिन से उनके
सुरक्षित होने की कोई कीमत नहीं रह जाती..
जिस परमेश्वर के फेर में वो खुद को
मीरा मान दूर छोड़ आती हैं
उसी को खुद से कहीं भी जुड़ा नहीं पाती हैं..
कैसा होता होगा उनका जीवन
जिन्हें बोझ समझकर इस धोखे से ब्याह
दिया जाता होगा कि
उस अनजान घर में उनके लिए सिर्फ सुख
ही लिखा है..
पर मिलती उन्हें सिर्फ उपेक्षा है...
जिनके प्यार के सपने सजाकर वो
डोली चढ़ती हैं..
उसी प्यारे से एक मीठी बात सुनने को
जिंदगीभर तरसती हैं..
कैसी होती होगी उन औरतों की जिंदगी
जिनके पास अपने दुख से बड़ा कोई
साथी नहीं होता होगा...
कैसी होती होगी उन औरतों की जिंदगी
जिनका महज एक शरीर से ज्यादा
कोई वजूद नहीं होगा...
कैसी....?
7 comments:
very well written and how true
मर्मस्पर्शी कविता
सादर
उस घर की छत पर बैठकर कौए काँव-काँव करते होंगे जहां रहती होंगी ऐसी औरतें।
..मार्मिक ठंग से दर्द अभिव्यक्त हुआ है।
bhawbhini.....
शक्ति आराधना के इस माहौल में यह कविता तनिक औचित्यहीन/असामयिक सी लगी :-( आपको नवरात्र और दशहरे की बहुत बहुत शुभकामनाएं!
ऐसी भी होती है तस्वीर कभी-कभार.
सच है ये और अधिकांश औरतों की ज़िंदगी का सच है.
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