रंगों की दुनिया बड़ी ही दिलचस्प है और उतना ही दिलचस्प है उनका वर्गीकरण। जैसे अगर लाल रंग सुहाग की निशानी है तो हरा सावन का। पीला सरस्वती पूजन या फिर गुरुवार का तो केसरिया साधु बन जाने का। सफेद शांति का तो काला रात का।
गुलाबी लड़की होने का संकेत देता है तो ब्लू रॉयल होने का। कुछ दिन पहले सुना कि अगर कोई लड़का बैंगनी पहनता है तो वह गे लगता है।
ये कुछ ऐसे वर्गीकरण हैं जो हमने हमारे समाज ने अपने हिसाब से तय किए हैं। इनका वजूद कितना सार्थक है ये तो कह पाना बहुत मुश्किल है लेकिन सच यही है कि हममें से ज्यादातर लोग रंगों के इस नियम कानून को मानते हैं।
पर मैरून या मरून....इस रंग का वर्णन कभी नहीं सुना..। पर आज फट-फट सेवा में बैठे-बैठे पता नहीं कहां से ख्याल आया कि मरून उन मध्यम वर्गीय महिलाओं का रंग है, जिनके पति की आमदनी उन्हें मन मारना सीखा देती है...। इस बात से हर तरह की असहमति स्वीकार है लेकिन यह मेरी सोच है....।
गौर कीजिए तो इस आय वर्ग को ताल्लुक रखने वाली महिलाओं के पास ज्यादातर चीजें मरून ही होती हैं...कारण कि यह एक ऐसा रंग है जो सबके साथ चल जाएगा....।
सबके साथ चल जाएगा कि फिलॉसिफी को खुद भी लंबे समय तक जिया है...। स्वेटर लेना है तो मरून ले लो....हर रंग से मेल खाएगा....चप्पल तो मरून...और लगभग हर वो चीज जिसे किसी के साथ मेल कराकर पहनना हो मरून ही होती है।
हालांकि काला भी इसका दूसरा विकल्प है...विकल्प क्या इसी का प्रतिद्वंद्वी है..। पर मरुन की बात कुछ और है...क्योंकि कुछ जगहें ऐसी भी हैं जहां काले को अशुभ माना जाता है...। ऐसे में मरून की कीमत काले से कहीं बढ़कर है...। यह कुछ वैसा ही है जैसे देश के कई इलाकों में बच्चों को त्योहारों पर यूनिफॉर्म सिलवाई जाती है...कपड़े का कपड़ा और यूनिफॉर्म की यूनिफॉर्म...। कम पैसे में ज्यादा इस्तेमाल....। कुछ न खरीद पाने की स्थिति में राहत देता है यह रंग...।
गुलाबी लड़की होने का संकेत देता है तो ब्लू रॉयल होने का। कुछ दिन पहले सुना कि अगर कोई लड़का बैंगनी पहनता है तो वह गे लगता है।
ये कुछ ऐसे वर्गीकरण हैं जो हमने हमारे समाज ने अपने हिसाब से तय किए हैं। इनका वजूद कितना सार्थक है ये तो कह पाना बहुत मुश्किल है लेकिन सच यही है कि हममें से ज्यादातर लोग रंगों के इस नियम कानून को मानते हैं।
पर मैरून या मरून....इस रंग का वर्णन कभी नहीं सुना..। पर आज फट-फट सेवा में बैठे-बैठे पता नहीं कहां से ख्याल आया कि मरून उन मध्यम वर्गीय महिलाओं का रंग है, जिनके पति की आमदनी उन्हें मन मारना सीखा देती है...। इस बात से हर तरह की असहमति स्वीकार है लेकिन यह मेरी सोच है....।
गौर कीजिए तो इस आय वर्ग को ताल्लुक रखने वाली महिलाओं के पास ज्यादातर चीजें मरून ही होती हैं...कारण कि यह एक ऐसा रंग है जो सबके साथ चल जाएगा....।
सबके साथ चल जाएगा कि फिलॉसिफी को खुद भी लंबे समय तक जिया है...। स्वेटर लेना है तो मरून ले लो....हर रंग से मेल खाएगा....चप्पल तो मरून...और लगभग हर वो चीज जिसे किसी के साथ मेल कराकर पहनना हो मरून ही होती है।
हालांकि काला भी इसका दूसरा विकल्प है...विकल्प क्या इसी का प्रतिद्वंद्वी है..। पर मरुन की बात कुछ और है...क्योंकि कुछ जगहें ऐसी भी हैं जहां काले को अशुभ माना जाता है...। ऐसे में मरून की कीमत काले से कहीं बढ़कर है...। यह कुछ वैसा ही है जैसे देश के कई इलाकों में बच्चों को त्योहारों पर यूनिफॉर्म सिलवाई जाती है...कपड़े का कपड़ा और यूनिफॉर्म की यूनिफॉर्म...। कम पैसे में ज्यादा इस्तेमाल....। कुछ न खरीद पाने की स्थिति में राहत देता है यह रंग...।
5 comments:
बढ़िया प्रस्तुति |
आभार ||
pahle bhi comment kiya jaane kahan gaya khair,maroon color apna fav nahin magar haan collection to rkahana hi padata hai.achha lekh .
आप सबको सपरिवार दीपावली शुभ एवं मंगलमय हो। अंग्रेजी कहावत है -A healthy mind in a healthy body लेकिन मेरा मानना है कि "Only the healthy mind will keep the body healthy ."मेरे विचार की पुष्टि यजुर्वेद क़े अध्याय ३४ क़े (मन्त्र १ से ६) इन छः वैदिक मन्त्रों से भी होती है .
http://krantiswar.blogspot.in/2012/11/2-2010-6-x-4-t-d-s-healthy-mind-in.html
बेचारा मध्यवर्ग
खुश रंग मैरून :-)
Post a Comment