Sunday, May 11, 2014

जि‍नके पास मां होती है वो खुद को कि‍तना सुरक्षि‍त महसूस करते होंगे न...कि‍सी से लड़ाई हो जाए, कोई दोस्‍त या प्‍यार छोड़कर चला जाए तो उनके पास मां होती होगी...।

उन्‍हें हमेशा इस बात का आश्‍वासन होता होगा कि कोई रहे न रहे उनकी मां तो उनके साथ हर कदम रहेगी ही। कोई उन पर ध्‍यान दे या न दे, उनकी मां हमेशा खाने-पीने से लेकर आने-जाने, उठने-बैठने को लेकर फि‍क्रमंद होगी। उसके रहते ग़लती करने की गुंजाइश भी कि‍तनी कम हो जाती होगी न...कुछ भी करो मां को बता दो, वो सब सुलझा देगी। सब ठीक कर देगी...मां मानों जादू की छड़ी। 

पर जि‍नके पास नहीं है उन्‍हें सब खुद ही संभालना। रो रहे हो तो अपने ही कपड़े से आंसू पोंछने हैं, कोई गोद नहीं है तो तकि‍ए में सि‍र रखकर रोते-रोते खुद ही सोना है...रोते-रोते हि‍चकी आए तो खुद ही लेकर पानी पीना है। 

फि‍र मां के इसी रि‍श्‍ते को आप हर कि‍सी में तलाशने लगते हैं, पता नहीं क्‍यों पर दि‍ल हर कि‍सी से मां जैसे प्‍यार की उम्‍मीद बांधने लगता है, और वो पूरी नहीं होती। अलबत्‍ता रि‍श्‍तों को लेकर ऐसी उम्‍मीद बांधना उस दूसरे रि‍श्‍ते को भी हमेशा के लि‍ए खत्‍म कर देता है क्‍योंकि जरूरत से ज्‍यादा पाने की उम्‍मीद हर रि‍श्‍ते को खत्‍म कर देती है।

2 comments:

Dr. sandhya tiwari said...

ma ke liye sundar bhav

वाणी गीत said...

माँ के दूर होने से भी ऐसी ही अनुभूति होती है कि आप हर किसी में अपनी माँ को ढूँढने लगते हैं और निराश होते हैं :(
भावपूर्ण !

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