अच्छे और बुरे की तुलना सुनी थी पर अब बलात्कार की घटनाओं की तुलना की जाती है. जैसे, एक और निर्भया कांड...निर्भया कांड से भी ज्यादा दर्दनाक है ये किस्सा...दोहराई गई मोहनलालगंज जैसी क्रूरता..ये ख़बरों को बेचने का नया फंडा है...और ठीक भी है क्योंकि सुबह अख़बार पलटने वाला ढाई रुपए के बदले सबकुछ उच्चश्रेणी का पढ़ना ही पसंद करता है...वो चाहे बलात्कार ही क्यों न हो.
सामान्य छेड़छाड़ का तो अब कोई वजूद ही नहीं रह गया है, केवल रेप है तो निम्न स्तर की ख़बर है, गैंगरेप है तो थोड़ा एवरेज है और गैंगरेप प्लस कोई अंग तहस-नहस कर दिया है, खून से लाश को सान दिया है तो ए ग्रेड की ख़बर है. ये मानसिकता हमारी बनाई हुई और मीडिया की परोसी हुई है. हिट अच्छे मिल जाते हैं, सर्कुलेशन बढ़ जाता है और टीआरपी टॉप पर पहुंच जाती है.
इन सबको चुनौती देने एक और महारथी मैदान में आ चुके हैं. नाम है राज शेत्ये. पेशे से फोटोग्राफर राज ने हाल ही में एक फोटोशूट किया है. जिसमें एक लड़की को रेप पीड़िता के तौर पर दिखाया गया है. दो लड़के उसके आगे पीछे है और उसे दबोचे हुए है. एक उसके पैर चूम रहा है...राज ने इस फोटो शूट को द रांग टर्न शो नाम दिया है. आलोचकों का कहना है कि ये तस्वीरें 16 दिसंबर को हुए निर्भया कांड से प्रेरित है. माइक्रोब्लॉग पर किसी ने लिखा है कि ये बिल्कुल ग़लत है. इससे बलात्कारियों को लगेगा कि वो फैशनेबल स्टड हैं.
पर फोटोग्राफर की अपनी सोच है और उनका कहना है कि वो रेप की भयावहता को तस्वीरों के माध्यम से दिखाने की कोशिश कर रहे हैं. उनके मुताबिक, अपनी इन तस्वीरों से वो समाज में एक ऐसा माहौल बनाना चाहते हैं, जिसमें लोग इस मामले पर आपस में बातें करे.
हालांकि तस्वीरों पर आ रहे कमेंट का उन्होंने अभी तक कोई जवाब तो नहीं दिया है लेकिन अगर इसे जागरुकता फैलाने का विकल्प माना जाने लगा तो आने वाले समय में फिल्मों के साथ ही डायरेक्टर रेप भी करवाने लगेंगे और उसे शूट किया करेंगे....क्योंकि फोटो देखने से अगर जागरुकता बढ़ती है तो सुनने और हाव-भाव से तो ये क्रांति बन सकती है.
पर सबसे बड़ी बात अगर जागरुक होने का किसी का मन ही होता तो दिल्ल्ी गैंग रेप, मोहनलालगंज में 200 मीटर तक फैले खून और नंगी लाश, पेड़ पर टंगी बहनें, 6 साल की बच्ची की तकलीफ और मदरसे में गैंग रेप की खबर देखने और पढने के बाद जागरुकता आ चुकी होती...
एक बात और आप भी यहीं हैं और मैं भी...देखिएगा 10 अगस्त के बाद 11 अगस्त को कई अखबारों और वेबसाइटों पर हेंडिंग होगी- राखी के दिन भी बहने सुरक्षित नहीं...हुए इतने बलात्कार.
फोटो: साभार डेली मेल
फोटो: साभार डेली मेल
1 comment:
यह रचना व्यंग्य नहीं, व्यंग्य की पीड़ा है। पीड़ा मन में ज़ल्दी धंसती है।
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