ये
हेडिंग अगर किसी क्राइम शो या स्टोरी की होती, तो
सुपरहिट हो जाती, क्योंकि इसमें ब्यूटी है, पार्लर है, रहस्य है और अप्रत्यक्ष रूप से लड़की का
ज़िक्र है।
ब्यूटी
पार्लर में चल रहा था सेक्स रैकेट, बनाई
जाती थीं ब्लू फिल्में...और न जानें क्या-क्या ..। कुछ ऐसे ही शीर्षक की खबरें
आजकल वेबसाइट के पेज पर, न्यूज के क्राइम-स्लॉट में और
अख़बार के पन्नों पर मिल जाती हैं। पर, इन अपवादों से इतर
ब्यूटी पार्लर कुछ और भी है। एक ऐसी जगह, जहां जाना हर औरत
के लिए एक सुखद एहसास है।
जगह,
जहां जाने से पहले ही उस औरत को ये भरोसा हो जाता है कि लौटने पर आज
उसे हर कोई नोटिस करेगा। मन में ये ख़्याल भी आता है कि पार्लर के दरवाज़े से निकलते
ही उसमें कुछ ऐसे बदलाव हो गए होंगे, जिस पर वो इठला सकेगी।
जहां पैसे देकर ही सही, वो अपना पैर दबवा सकेगी। उन काली,
फटी दरारों को साफ करवा सकेगी जो, घर की सफाई
करते-करते उसकी एड़ियों की पहचान बन चुकी हैं। उन हाथों को थोड़ी नरमी दे सकेगी
जो बर्तन घिसते-घिसते अब ख़ुद किसी स्क्रबर जैसे हो गए हैं।
दूध
और मसाले की ख़ुश्बू से दूर एक ऐसी जगह, जहां
तरह-तरह के साबुन-तेल और क्रीम की सुगंध होगी। जहां, कुछ समय
वो केवल ख़ुद को निहार सकेगी, अपनी ज़िन्दगी के कुछ घंटे
केवल अपने लिए बिता सकेगी।
हालांकि,
एक वर्ग ऐसा भी है, जो केवल पैसे खर्च हो जाएं
इसलिए पार्लर जाता है। बीते दिनों पार्लर में एक ही परिवार की तीन पीढ़ियां
मौजूद थीं। नानी, ब्यूटी पार्लर के मालिक को इसलिए डांट
रही थीं क्यों कि उसने सस्ता फ़ेशियल कर दिया था।
जितने
चेहरे उतने किस्से...पर सच तो यही है कि ब्यूटी पार्लर में हर वो बात होती है जिसे
औरत कहना तो चाहती है, पर कह किसी से नहीं पाती
है। प्रेमी से लेकर पति तक, सुहागरात से लेकर सास की शिकायत
तक ,पति की बड़ाई से लेकर एक्ट्रा मैरिटल अफेयर तक और नौकरी
खोजने से लेकर बॉस के रसिक होने की बात तक...यहां सबकुछ डिस्कस होता है।
एक मज़ेदार बात ये भी है कि ब्यूटीशियन खुद चाहे जैसी
हो, खोट निकालने में महारथी होती है। खु़द के गहरे रंग को
भले न ठीक कर पाए, पर वो ये सलाह ज़रूर दे देगी कि पर्ल फ़ेशियल करा लीजिए, चमक
आ जाएगी। खु़द के बाल भले दोमुंहों की जगह चार मुंह वाले हो गए हों पर आपको एक विचित्र
स्टेप कटिंग की सलाह ज़रूर दे देगी और महिलाएं उनकी सलाह, उतनी
ही गंभीरता से लेती भी हैं।
अपनी बात को सच बताने के लिए इन उनके पास एक से बढ़कर
एक उदाहरण होते हैं। मेरी ब्यूटीशियन हर सर्विस को बर्तन धोने से जोड़कर बताती
है। फ़ेशियल करती है तो कहती है,
बर्तन को मांजोगे तो चमकेगा ही...पैडिक्श्योर करती है
तो कहती है स्क्रबिंग के बाद मसाज ज़रूरी है, ठीक
वैसे ही जैसे विम लगाने के बाद पानी से धोना। वरना दरारें पड़ जाएंगी। जितने
पार्लर, उतने उदाहरण...।
सुंदर दिखना, हर किसी को पसंद
होता है और ये ब्यूटी पार्लर उसी पसंद को साकार रूप देने का नाम है। असर होता है
या नहीं...ये एक बड़ी बहस का हिस्सा है, पर इतना ज़रूर है
कि ये वो जगह है जहां औरतें ख़ुद को सबसे अधिक आज़ाद महसूस करती हैं। जहां, कुछ
समय के लिए ही सही वो ख़ुद की बड़ी-बड़ी आंखों, काले-घने
बाल और चेहरे की चमक को ग़ौर से देख पाती हैं और ख़ुद को इस नज़र से देखना...एक
औरत के आत्मविश्वास के लिए बेहद ज़रूरी है।
7 comments:
एक ज़रूरी शीर्षक ..!
आपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति आज बुधवारीय चर्चा मंच पर ।।
हर झूठी चमक--झूथ के सिवाय कुछ भी नहीं है.
बिना पारलर जाय झुर्रियों में एक गरिमा होती है.
हालांकि,मैने भी एक-दो प्रयोग किये है---अपनी जेब कुछ हलकी कर के.
हर झूठी चमक--झूथ के सिवाय कुछ भी नहीं है.
बिना पारलर जाय झुर्रियों में एक गरिमा होती है.
हालांकि,मैने भी एक-दो प्रयोग किये है---अपनी जेब कुछ हलकी कर के.
ये अन्दर की बात है।
मगर आपने तो जगजाहिर कर दी।
ये अन्दर की बात है।
मगर आपने तो जगजाहिर कर दी।
"बर्तन मांजोगे तो चमकेगा ही "सारी बात इसमें ही समाहित हो गयी , बाकि तो पार्लर जाने वालों को ही पता है
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