कल इरोज़ के नए ऐप पर फ्री में कहो ना प्यार है देखी...66वीं बार. आप चाहें तो मुझे दुनिया का सबसे खाली इंसान समझ सकते हैं. पर 66 में से 65 बार उस दौरान देखी, जब रितिक रौशन संग प्यार में थी. कल देखी, पुरानी और मासूम यादों को जि़दा करने के लिए.
याद नहीं उस समय कौन सी क्लास में थी पर कहो ना प्यार है, गाने ने दीवाना कर रखा था. छोटा शहर, न के बराबर संसाधन और ये पहला प्यार...पर ये प्यार क्रश वाला नहीं था. घर में कोई बड़ा भाई नहीं था, इसलिए हमेशा दिल करता था की रितिक रौशन मेरा भाई होता, तो कितना अच्दा होता.
पहली बार ये फिल्म बलिया के किसी सिनेमा हाॅल में देखी थी. गाज़ीपुर लौटी तो दीदी को इतना चढ़ाया की वो भी जि़द पर अड़ गई की उसे भी ये फिल्म देखनी है. ख़ैर किसी तरह मम्मी और पापा दोनों माने, पर जैसे ही हम घर से निकले बारिश होने लगी. पूरी तरह भीग चुके थे हम. मम्मी ने कहा, चलो कोई पिक्च्र-विक्चर नहीं देखनी, घर चलते हैं. मेरा दिल बैठ गया. मैंने कहा, अरे नहीं मम्मी, पापा टिकट ले चुके होंगे.
तब बुक माय शो तो हुआ नहीं करता था, इसलिए पापा पहले ही सिनेमा हाॅल चले गए थे ताकि टिकट मिल जाए. ख़ैर सिर से पांव तक भीगे हम सिनेमा हाॅल पहुंचे. पिक्चर बस शुरू ही हुई थी.
घर आकर मैंने और दीदी ने घंटो फिल्म के बारे में बातें की. तब की बातें आज की बातों से बिल्कुल अलग थीं, जिसमें हमे हीरे-हीरोइन से लेकर विलेन और दूसरे कलाकार सभी बहुत पसंद आए थे. रोहित वाला रितिक ज़्यादा पसंद आया था. अमीषा का सूट पसंद आया था. चेहरे पर हाथ फेरने वाला सीन पसंद आया था. फाइट पसंद आई थी और कहो ना प्यार है का सिग्नेचर स्टेप पसंद आया था.
कुछ समय बाद ये गाना मेरा लकी गाना बन गया...सुबह-सवेरे आया करता था, डीडी पर. ये पूरा गाना सुने बिना स्कूल नहीं जाती थी. कोका कोला खरीदने पर रितिक की फोटो का कार्ड मिलता था...अब भी याद पूरे 45 थे मेरे पास. उन्हें दीवार पर चिपका दिया था. अख़बार से फोट काटकर दीवार पर चिपका दी थी और कुछ-एकबार उसे अगरबत्ती भी दिखाई थी.
इतना प्यार....फिर किसी अभिनेता से नहीं हुआ...अच्छा लगता है ये सब याद करके की...हम भी कभी बच्चे थे, कुछ भी करने में नफ़ा-नुकसान नहीं सोचा करते थे. किसी को ये साबित नहीं करना होता था की मैं समझदार हूं...बस वही करना होता था, करते थे जो दिल करता था.
3 comments:
मुझे भी पसंद है ये मूवी।
आह वो लडकपन, और वह फिल्मों का चाव।
आह वो लडकपन और वह फिल्मों का चाव।
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