Sunday, August 28, 2011

राखी सावंत से कम नहीं हैं ये.....

बचपन में राजनेताओं के नाम और उनके काम में कोई खास दि‍लचस्‍पी नहीं थी, खेलने-कूदने से फुर्सत ही कब रहती थी कि‍ कुछ और याद रहे। लेकि‍न उस वक्‍त भी लालू प्रसाद यादव का नाम याद था। पता था कि‍ आप बि‍हार के राजा हैं और इसके पीछे कारण बहुत ही सहज था, घरवाले जब भी राजनीति‍ से जुड़ी बातें कि‍या करते तो अक्‍सर लालू का जि‍क्र करके कोई कि‍स्‍सा सुना देते या फि‍र उनकी तथाकथि‍त बेबाकी पर हंसने लगते। कभी-कभी ये नाम इसलि‍ए भी सुनाई देता कि‍ तमाम घोटालों में संलि‍प्‍त होने पर भी वो मुख्‍यमंत्री थे, जेल में थे लेकि‍न बीवी को तैनात कर रखा था। कुछ इन्‍हीं तरह की बातों से लालू प्रसाद यादव का नाम मस्‍ति‍ष्‍क रूपी कागज पर उस वक्‍त से ही छप गया जब मैने राजनीति‍ शब्‍द को जोड़-जोड़कर पढ़ना शुरू कि‍या था।
उसके बाद स्‍कूल और फि‍र कॉलेज में आ गए, समझ बढ़ी, दायरा बढ़ा और राजनीति‍ की इकाई समझ आने लगी। इस वक्‍त तक कई राजनेताओं के नाम के बाद जी का सम्‍बोधन करने लगी तो कुछ के नाम के साथ उन तमाम शब्‍दों का जो अब राजनीति‍ज्ञों के पर्यायवाची (देशद्रोही, पापी, चोर, भ्रष्‍ट...आदि‍) बन चुके हैं। खैर लालू प्रसाद यादव का नाम कभी भी राजनीति‍ज्ञों की सूची में नहीं रख सकी, क्‍योंकि‍ जब भी इस नाम का जि‍क्र होता, कोई यार-दोस्‍त उनके ऊपर गढ़ा गया चुटकुला सुनाने लग जाता या फि‍र कोई कि‍स्‍सा लेकर बैठ जाता।
इन सबके बीच एक दौर ऐसा भी आया जब वो रेलवे वि‍भाग सम्‍भालते हुए मैनेजमेंट गुरू बन बैठे और देश से लेकर वि‍देश तक घूम-घूमकर शि‍क्षा देने लगे, खैर ये दौर भी बीतते देर नहीं लगी और उसके बाद लालू कहीं खो से गए। चुनावो में मि‍ली करारी हार भी कहीं ना कहीं उनकी चुप्‍पी का कारण बनी।
लेकि‍न आज एक लम्‍बे समय बाद लालू को सदन में बोलते देखा और आज उन पर और उनकी बातों पर हंसी आने के बजाय, उनकी सोच पर तरस आ रहा था। लालू प्रसाद ने सदन में बजाय इसके कि अन्‍ना के प्रस्‍ताव पर कोई राय दें, देश के लि‍ए कुछ सोचें, कुछ सुझाव दें इस बात पर खींस नि‍पोरते दि‍खे कि‍ कोई 74 साल का आदमी 12 दि‍न का अनशन कर कैसे सकता है, और कैसे कह सकता है कि‍ अभी मैं 3 कि‍मी तक और दौड़ सकता है। लालू प्रसाद जी इन बातों को कि‍सी मजाक की ही तरह सदन में अभि‍व्‍यक्‍त कर रहे थे। कि‍सी सदस्‍य ने जब पूछा कि‍ क्‍या ये इतना जरूरी वि‍षय है तो लालू जी ने झट से जवाब दि‍या कि‍ हां ये बहुत जरूरी टॉपि‍क है। हम नेता लोगो को ये पता करना चाहि‍ए कि‍ कोई ये सब कैसे कर सकता है। हम नेता लोगों को उनसे ट्रेनिंग लेनी चाहि‍ए और डॉक्‍टरों को उन पर रि‍सर्च करना चाहि‍ए। हालांकि‍ इस बात पर उनके सहयोगी भी खूब दांत चीयार रहे थे लेकि‍न क्‍या ये अन्‍ना का अपमान नहीं है? अन्‍ना ही क्‍या ये उस तपस्‍या का भी अपमान ही है जो भारत की जनता पि‍छले 12 दि‍नों से कर रही है और साथ ही ये सदन का भी अपमान ही था।
सदन में आज लालू प्रसाद को सुनकर पहला ख्‍याल बस यही आया कि‍ राजनेताओं और राखी सावंत में कोई खास फर्क नहीं रह गया है। वो भी अनाप-शनाप बोलकर पब्‍लि‍सि‍टी बटोरते हैं और ये भी कुछ ऐसा ही करते हैं। ना तो इन्‍हें देश से मतलब है और ना ही देश के लि‍ए लड़ने वालों से, मतलब है तो सिर्फ अपनी कुर्सी से। खैर लालू प्रसाद ने जो करना था और कहना था वो कर-कह चुके लेकि‍न अगर वो अन्‍ना से कुछ पूछना ही चाहते हैं तो ये जरूर पूछें कि देश उनके लि‍ए क्‍या है... भारत मां, जि‍सकी इज्‍जत से हम सबकी इज्‍जत है या बस एक जमीन का टुकड़ा, जि‍से कोई भी कभी भी लूट सकता है......।

5 comments:

Anonymous said...

Bahut hi satic tippani hai lallu Yadav pe. Khair aap to UP ki hone se bach gaye; Hamari pidhi ne to lalu ka aatank raj dekha hai aur bhoga bhi hai.
Waise aapke blog ka title bahut hi sundar laga........ Batkuchni, mamla yaha copyrite ka ban jata hai nahi to main ese copy kar leta.
Kushagra
PhD JNU
mekushagra@gmail.com

Anonymous said...

काफ़ी अच्छा लिखा है, और सच लिखा है. लालू की खास बात यही है की वो गंभीर बातों को भी मज़ाक बना के रख देता है, और शुरू मे लोगों को मज़ा आया, लेकिन काठ की हंडी पर्मनेंट्ली तो आग पे रह नही सकती, शायद अगली बार ये संसद मे ही ना दिखें. वैसे अन्ना का जवाब भी अच्छा था. :)

JANSAMVAD said...

a true story that feel by batkuchni

Devashish said...

bahut achha likha hai aapne. kuchh raajnetaon ko uski aukaat dikhane ki bahut zarurat hai.ye laalu brahmacharya ko kya jaane jisne khud 12 bachhe ho?? kam se kam 12 din ka anshan toh unke dwra sambhaw nahi... haan ek baat bilkul sahi kahi aapne ki popularity aur "chaara" batorna ho toh koi laalu yadav se seekhe...


Bhumi one more thing is... jis prakar laalu ka charitra chitran aapne bachpan mein hi apne mastishk mein kar liya tha... mere mastishk ne bhi laalu yadav ka charitra chitran kuchh aise hi kiya tha...

you have written very nice.... thanks

Devashish

brajesh said...

LALU PRASAD YADAV JI K BARE ME KUCH SHABD JODNA CHAHUNGA..MR.LALU JI APNE KARM CHETRA ME FAIL HAIN .JIS RAJNEETI KI DUHAI DEKAR RAJNETA BANE USE SABSE JYADA BADNAM INHI MAHASHAYA K DWARA HI KIYA JA RAHA H.APNI KATHANI AUR KARNI ME KATAI MALE NAHI HONE DETE.JIS BIHAR ME 15 SAAL MUKHYAMANTRI PAD INKE AUR INKE PARIWAR K DWARA SAMBHALA GAYA WA PARINAM SWAROOP VIKASH SE 50 SAAL PICHE DHAKELNE KA SARTHAK PRAYATNA INOHNE KIYA.MAHASHAYA 4 MP K SAATH SANSAD ME IS TARAH BOLTE BAYANBAAZI KARTE NAZAR AATE H JASE DESH KE TAARANHAAR HON.MAZBOOR LALOO JI CONGRESS KI CHAMACHAGIRI NAHI KARNGE TO BHAWISHYA ME SHAYAD USI KRM CHETRA ME UNHI K SAATH NAZAR AAYENGE JINKA CHARA INKE DWARA CHAT KAR DIYA GAYA...AGAR WO BHI LAAT NA MAARE...BRAJESH SHUKLA

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