लोक-कहानियों मे मुताबिक एक (औरत) जादूगरनी होती है । ज़्यादातर चुड़ैल और डायन शब्द दुष्ट जादूगरनियों के लिये ही प्रयुक्त होते हैं -- वो औरतें जो काला जादू करती हैं ।
डायन प्रथा बिहार के कई इलाकों मे आज भी सक्रिय है इसमे जादू के नाम पर औरतों की बलि दी जाती है....
माई
तू डाइन कब हो गइलु
हम त बाटी तोहरे धीया
फिर काहे पुतना कहइलु...।।
माई तू डाइन कब हो गइलु
इहे गांव में एक दिन, तू रहलु बियाह के आइल
कुलवधू, अन्न्पूर्णा, लक्ष्मी, तू ही रहलु कहाइल
फिर कहवां से आज तोहमे डायन बाटे समाइल...
हम त बाटी तोहरे धीया
तू डाइन कब हो गइलु ।।
तुमही रहो सुनाई वा किस्सा
हमरे जनम का माई
जामे तुम मिसरी-मेवा दूध रहो नहाई
तब काहे को आज मइला घोंटे हो माई
हम त बाटी तोहरे धीया
तू डाइन कब हो गइलु ।।
काहे सबका रहले, रहलू महरानी
सीनूर माथे पोछते काहे हो गइलू पीकदानी
एकहक घाव से रीसत हउवे माई तोर कहानी
हम त बाटी तोहरे धीया
तू डाइन कब हो गइलु ।।
डायन प्रथा बिहार के कई इलाकों मे आज भी सक्रिय है इसमे जादू के नाम पर औरतों की बलि दी जाती है....
माई
तू डाइन कब हो गइलु
हम त बाटी तोहरे धीया
फिर काहे पुतना कहइलु...।।
माई तू डाइन कब हो गइलु
इहे गांव में एक दिन, तू रहलु बियाह के आइल
कुलवधू, अन्न्पूर्णा, लक्ष्मी, तू ही रहलु कहाइल
फिर कहवां से आज तोहमे डायन बाटे समाइल...
हम त बाटी तोहरे धीया
तू डाइन कब हो गइलु ।।
तुमही रहो सुनाई वा किस्सा
हमरे जनम का माई
जामे तुम मिसरी-मेवा दूध रहो नहाई
तब काहे को आज मइला घोंटे हो माई
हम त बाटी तोहरे धीया
तू डाइन कब हो गइलु ।।
काहे सबका रहले, रहलू महरानी
सीनूर माथे पोछते काहे हो गइलू पीकदानी
एकहक घाव से रीसत हउवे माई तोर कहानी
हम त बाटी तोहरे धीया
तू डाइन कब हो गइलु ।।
4 comments:
दर्द भरी दास्ताँ :-(
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (24-03-2013) के चर्चा मंच 1193 पर भी होगी. सूचनार्थ
ओह!
:(
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