कई बार सोचती हूं कि इन कुछ महीनों में तुमने ऐसा क्या किया..
जो अब मैं किसी और की नहीं हूं
ऐसा क्या किया तुमने जो अब दूसरों की फिक्र की जरूरत नहीं
जरूरत की बात भी नहीं...
चाहती हूं कि केवल तुम ही ये फर्ज निभाओ
चाहती हूं कि केवल तुम ही वो रहो जो मुझसे मेरा हाल पूछे
मुझे खाना खाने की याद दिलाए, कंधे पर सिर रखकर सुलाए
सुबह की थपकी से उठाए...
शायद तुम्हे हंसी आए, पर मैं तुम्हारी बीवी नहीं तुम्हारा बच्चा बनकर रहना चाहती हूं
कहते हैं एक औरत को अपने साथी में बाप, भाई, प्रेमी और दोस्त की
ख्वाहिश होती है
पर क्या तुम मेरी मां बनोगे..
ये सवाल भले तुम्हे बेबुनियाद लगे लेकिन तुम संग अगल सी प्रीत है
जैसी अब तक किसी ने नहीं की...
पर इसका मतलब ये नहीं कि मैं तुम्हारी बीवी नहीं बनना चाहती
बस तुम मेरी मां सा बन सको तो बन जाना..जिसकी थपकी में भी दुलार हो, प्यार हो
जिसके गुस्से में भी मेरी अच्छाई की बात हो, जिसके प्यार में कोई स्वार्थ न हो
तुमसे बस इतनी ही ख्वाहिश है कि मुझे अपना ही हिस्सा समझना
तुममे पली तो नहीं हूं...पर तुमसे मिलकर एक नया जन्म जरूर लिया
4 comments:
पाव पाव दीपावली, शुभकामना अनेक |
वली-वलीमुख अवध में, सबके प्रभु तो एक |
सब के प्रभु तो एक, उन्हीं का चलता सिक्का |
कई पावली किन्तु, स्वयं को कहते इक्का |
जाओ उनसे चेत, बनो मत मूर्ख गावदी |
रविकर दिया सँदेश, मिठाई पाव पाव दी ||
वली-वलीमुख = राम जी / हनुमान जी
पावली=चवन्नी
गावदी = मूर्ख / अबोध
आप सभी को सपरिवार दीपावली की बहुत बहुत हार्दिक बधाइयाँ और मंगलकामनायें !!
ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन आई थोड़ी मीठी - थोड़ी खट्टी दिवाली - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
सुंदर पोस्ट !!
दीपोत्सव की शुभकामनायें !!
सुन्दर भाव
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