ब्लॉगर होने का सबसे बड़ा फायदा ये है कि आपके पास कोई न हो तो भी आप अपने आपको अकला महसूस नहीं करते।
मन खुशी से फूला नहीं समां रहा हो तो यहां लिखकर खुशी का इजहार कर लो, दुखी हो तो यहां बैठकर रोना रो लो। मैं तो खासतौर पर दुख को बाहर निकालने के लिए ब्लॉग पर आ जाती हूं। ये कुछ खुद से ही बात करने जैसा है। आज फेसबुक स्टेटस भी डाला कि जब आप दुखी होते हैं तभी खुद के सबसे करीब होते हैं।
इस बात का दूसरा रूप ये भी है कि दुख में आपके पास दुख बांटने के लिए कोई होता ही नहीं है। सिवाय आप खुद। बुरा तक लगता है जब आप उन लोगों से चोट खाते हैं, जिन्हें आप जिन्दगी में आए कुछ अच्छे लोगों में शुमार किए फिरते हैं और एक दिन वहीं लोग आपको बेइज्जत करने औ रुलाने में एक पल को नहीं सोचते।
जाति की भूमिहार हूं इसलिए सब कहते हैं कि तुम तो बहुत चालाक होगी, पर ये मुझे ही पता है कि लोगों ने ही हमेशा मूर्ख बनाया है। दिमाग से नहीं, संवेदना और साथ दिखाकर।
अब लगता है कि बड़ी हो गई हूं। पहले तक सोचती थी कि हम सबके पास अपने काम हैं, काम ईमानदारी से करो तो और कुछ सोचने की जरूरत ही नहीं।
पर सच्चाई ये नहीं है। सच्चाई बस इतनी सी है कि जब तक आप काम कर रहे हैं, दूसरों की सेवा, मुनाफे में लगे हुए हैं आप अच्छे हैं। जहां वेा सब पूरा हुआ उसके बाद न तो कोई अपना रह जाता है और न तो अपनापन।
3 comments:
बहुत सही कहा आपने।
हम भी आपको फेसबुक पर खोज कर रिक्वेस्ट भेजूँगा :)
सादर
ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन ट्रेन छूटे तो २ घंटे मे ले लो रिफंद, देर हुई तो मिलेगा बाबा जी का ठुल्लू मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
अनंत में झाकने का प्रयास ....दुनिया कुछ अलग भी है .....
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