मां का चले जाना केवल उसका जाना नहीं होता है...उसके साथ शायद वो हर हक़ चला जाता है, जो उसकी बेटी का हो सकता था. बचपना दिखाना, खाने की फ़रमाइशें करना, कपड़े मांगना, रोने पर मनाये जाने की आस का होना...दूर जाने पर फोन आने की उम्मीद का होना, मां के हाथ का खाना बांटना, बीमार पड़ने पर दवाई के बारे में पूछना, छींक आते ही मां का समझ जाना की तबियत ख़राब है, सबकुछ...
पर उसके जाने के बाद कितनी उधार की जि़न्दगी हो जाती है...छोटे रहो तो बड़ों के कहे के हिसाब से करो. स्कूल में दोस्तों की नकल, काॅलेज में टीचर और साथ पढ़ने वाली लड़कियों की नकल, आॅफिस में साथियों की नकल और प्यार के मामले में टीवी और फिल्मों की नकल....
क्योंकि कोई होता ही नहीं है जो बता दे कि ऐसे करो, वैसे करो...कहने को सब कहते हैं कि मां नहीं तो क्या हुआ, हम हैं न.... लेकिन जि़द, नाराज़गी या दुख में सब मुंह छिपा लेते हैं..
हर बार लगता है ये पुरानी बात हो चुकी लेकिन बचपन कभी पूरा ही नहीं हुआ तो आज भी बचकानी हरकतें बाकी हैं....पर लोग नखरे तो नहीं उठा सकते...वो बस कह सकते हैं बी मैच्योर...जि़न्दगी में बहुत कुछ है करने को...पर आज भी एक पैर उसी पहली सीढ़ी पर है, शायद कभी आगे बढ़ पाए...
2 comments:
God bless you!
प्रिय दोस्त मझे यह Article बहुत अच्छा लगा। आज बहुत से लोग कई प्रकार के रोगों से ग्रस्त है और वे ज्ञान के अभाव में अपने बहुत सारे धन को बरबाद कर देते हैं। उन लोगों को यदि स्वास्थ्य की जानकारियां ठीक प्रकार से मिल जाए तो वे लोग बरवाद होने से बच जायेंगे तथा स्वास्थ भी रहेंगे। मैं ऐसे लोगों को स्वास्थ्य की जानकारियां फ्री में www.Jkhealthworld.com के माध्यम से प्रदान करती हूं। मैं एक Social Worker हूं और जनकल्याण की भावना से यह कार्य कर रही हूं। आप मेरे इस कार्य में मदद करें ताकि अधिक से अधिक लोगों तक ये जानकारियां आसानी से पहुच सकें और वे अपने इलाज स्वयं कर सकें। यदि आपको मेरा यह सुझाव पसंद आया तो इस लिंक को अपने Blog या Website पर जगह दें। धन्यवाद!
Health Care in Hindi
Post a Comment