इस औरत को देखते ही विद्या बालन याद गईं और स्वच्छता अभियान के तहत चलाया गया वो विज्ञापन कानों में अपने-आप सुनाई देने लगा. जिसमें विद्या जी कहती हैं, जहां सोच, वहां शौचालय.

उसके बाद सास-ससुर आपस में कुछ बात करने लगे. दोनों के बीच कुछ देर बात हुई और उसके बाद सास अपनी बहू को समझाने लगी. राजीव चैक पर बड़ी भीड़ आएगी, पहले ही दरवाजे़ के पास चल चलेंगे. वरना
निकल नहीं पाएंगे. बहू ने कोई जवाब नहीं दिया, उसके बाद सास ने उसे अपनी कोहनी से धक्का मारा...
कोहनी के धक्के से उसकी नींद खुली और वो थोड़ा संभलकर बैठ गई. सास ने कहा, मैं तब से बात किए जा रही हूं और तुम सो रही हो...घूंघट में मुंह डालकर सो रही हो...ये तो अच्छा है की घूंघट में मुंह छिपाकर सोए रहो और हम यहां देखते रहें की अगला स्टेशन कौन...
ऐसा करो, घूंघट बस सिर तक का करो, जब मुंह सबको दिखेगा तो नींद नहीं आएगी...बहू ने घूंघट छोटा किया और तिरछी होकर बाहर की ओर देखने लगी.
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