आज सांस लेने में थोड़ी तकलीफ है..
गला तो भरा है पर आंखें खाली हो चुकी है...
कुछ नया नहीं है फिर भी टीस बढ़ सी गई है..
जलन और कुंठा दोनों शायद आज चरम पर हैं..
अपने सारे सुख आज अनायास ही बेवजह लगने लगे
हैं..
सोचती हूं
तुम होती तो आज मैं भी औरों की तरह व्यस्त
होती
तुम्हारे लिए कुछ नया करने की चाह में
परेशान होती फिरती
याद है,
तुम्हें मेरे हाथ की बनी नींबू की चाय बहुत
पसंद थी
शायद तुम्हें एक प्याली चाय देकर चूम लेती
..या फिर लिपट जाती
तुम्हारी हजार डांट के बाद अब चकले पर रोटियां
भी घुमाने लगी हूं
कच्चा पक्का ही सही पर, कुछ अच्छा बनाकर तुम्हे
जरूर खिलाती
पर तुम तो हो ही नहीं...
महसूस करती हूं तुम्हे.. पर क्या वाकई काफी
है ये
सुबह से हरएक चीज तुम्हारी याद दिला रही है
आंखे हर याद के साथ और गहराती जा रही हैं..
शायद तुम समझ रही होगी ये सब जो मैं कहना
चाहती हूं
जैसे
बचपन में केवल पुकारने के ढ़ंग से तुम समझ
जाती थी
और मेरी जरूरत की खुशी खोज लाती थी..
आज भी समझ लेना...
कि
औरों को देखकर क्यों तुम्हे दोबारा पाने की
चाह कर रही हूं..
क्यों तुम्हारे न होने से खुद को अकेला
महसूस कर रही हूं..।।
1 comment:
Life Without MAA So Harsh Really!!!!
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