Thursday, August 21, 2014

अमिताभ बच्चन, सिर्फ एक नाम या कुछ और...

उनकी एक आवाज़ पर लाखों दिल कुर्बान हो जाते हैं, उनसे एक बार गले मिलने के लिए लोग न जाने कहां-कहां से आते हैं...और अगर वाकई किसी को अतिाभ होने के मायने जानना हो तो वो करोड़पति देखे.

कौन बनेगा करोड़पति...एक ऐसा शो जहां वाकई दिल जीते जाते हैं. क्विज़ शो है पर आपको एक परिवार की कहानी लगेगी...हां एक ऐसा परिवार जिसके पात्र हर रोज़ बदलते रहते हैं....पर इन सबको बांधे रखने वाला शख्स अटल है.

अगर कोई आपसे ये पूछे की अमिताभ को आप किस सदी का नायक मानेंगे तो आप क्या जवाब देंगे...वो शुरुआती दौर में जितने सक्रिय थे आज उससे कहीं ज्यादा हैं. उस वक्त केवल सिनेमा ही उनका एकमात्र माध्यम था, आज हर माध्यम उनका अपना है. शायद यही अमिताभ की सबसे बड़ी खूबी भी है...वो एक लड़की को जितना समझते हैं उतना ही उसकी दादी और मां को भी. लाठी थामकर चलने वाले पिता को जानते हैं तो वाई-फाई की दुनिया में गुम रहने वाले बेटे को भी.

उनकी बातें बहुत नई या अलौकिक तो कभी नहीं रहीं...पर अपनापन उनमें हमेशा रहा और यही वजह है जो एक औरत दो साल तक अपनी बेटी का नाम नहीं रखती. उसे नामकरण कराना है तो केवल अमिताभ से. एक पिता जो अपने समाज से बग़ावत करके अपनी बेटियों को पाल रहा है, अमिताभ से फरियाद करता है कि वो लोगों से अपील करें.

एक लड़की, जो दहेज के चलते खुद को बोझ मान बैठी है...अमिताभ के आगे भावुक हो जाती है. क्यों....
शायद ये टीआरपी का खेल हो सकता है...पर अमिताभ ही क्यों...मेरी समझ से हम सबके दिल में कहीं न कहीं अमिताभ हैं...जिन्हें हम सबने किसी न किसी रूप में दिल में बिठा रखा है...कुछ के लिए तो वो भगवान ही हैं...तभी तो जब अमिताभ किसी को फोन करते हैं तो उन्हें खुद के ही अस्तित्व को साबित करना पड़ता है...क्योंकि किसी के लिए भी ये यक़ीन कर पाना मुश्किल है कि भगवान फोन कर सकते हैं....शायद यही है अमिताभ होने के मायने..

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