ओबामा की भारत यात्रा को कई मायनों में ख़ास माना जा रहा है....इन "कई" मामलों पर उन्हें प्रधानमंत्री जी द्वारा निमंत्रण देने के साथ ही चर्चा शुरू हो गई थी. जो उम्मीद है, उनके जाने के बाद भी महीनों नहीं तो सप्ताहभर तो जारी रहेगी ही.
दुनिया के सबसे शक्तिशाली देश के राष्ट्रपति का यहां से भावविभोर होकर जाना हमारे लिए अच्छी बात है. पर आज ओबामा ने अपने संबोधन में कुछ ऐसी बातें कहीं, जो हर भारतीय मर्द को सोचने पर मजबूर करनी चाहिए...
शुरूआत से शुरू करते हैं...आप में से जिसने भी कल की परेड देखी होगी, उन्होंने मिशेल ओबामा को भी ध्यान से देखा होगा...मिशेल...एक फिट, सतर्क और अपने आस-पास के घटनाक्रम पर नज़र रखने वाली महिला के तौर पर दिखीं. ऐसा होने के लिए जितनी वो तत्पर हैं, उतना ही उनके पति का भी योगदान है.
मिशेल ढेरों समारोहों में शिरकत करती हैं...लोगों से मिलती हैं, बयान देती हैं, अपने पति और अमेरिकी राष्ट्रपति की नीतियों और कामों से प्रत्यक्ष नही तो अप्रयक्ष रूप से जुड़ी रहती हैं...हमने इस समारोह से पहले भी उन्हें कई दफ़ा कई समारोहों में देखा है...वो केवल अमेरिका की प्रथम महिला नहीं हैं, वो मिशेल भी हैं...
पर कल उसी समारोह में हमारे कुछ माननीय मंत्री लोग भी अपनी पत्नियों समेत पहुंचे थे, और उनके करीब बैठने से हम ये अंदाज़ा लगा रहे थे कि वे पति-पत्नी हैं...नाम तो आज भी नहीं पता.
वहीं आज सीरीं फोर्ट में ओबामा के हर संबोधन में मिशेल शामिल थीं. मिशेल, दूर मूक बैठी थीं, पर उनकी आंखें और मुस्कान ओबामा के हर संबोधन पर उन्हें जवाब दे रही थी. ओबामा ने अपना जि़क्र जब भी किया, मिशेल का नाम लिया. मिशेल उस समय क्या महसूस कर रही होंगी, ये औरतें सबसे बेहतर समझ सकती हैं...
वहीं हमारे यहां न जाने क्यों ऐसी मानसिकता है कि औरतें शादी और पार्टी में तो जा सकती हैं लेकिन ऐसे किसी मौके पर नहीं जहां कुछ गंभीर मामलों में चर्चा होनी है. उन मौकों पर भी जहां उन्हें अपनी किसी कामयाबी को अपनी पत्नी से बांटना पड़ सकता है...हमारे यहा केवल बोलने का शौक है कि हर कामयाब मर्द के पीछे एक औरत होती है...पर इसे भरी सभा में या केवल बीवी के आगे स्वीकार करने में भी अपमान ही महसूस होता है...
1 comment:
अच्छा लिखा।
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