इस देश में कानून जानना, कानून न जानने से भी बुरी बात है...कानून जानकर आप चाहते हैं कि आप उसी के हिसाब से काम करें और दूसरों से भी अपेक्षा रखने लगते हैं कि वो भी इसका सम्मान करें लेकिन ऐसा होता नही हैं। जरूरी नहीं कि सामने वाला उस कानून को मानें...। कानून जानने वाले के पास अपने पक्ष्ा में कहने के लिए एकमात्र तर्क यही होता है कि यह कानून है जबकि कानून न जानने वाले के लिए साम-दाम-दंड-भेद सभी रास्ते खुले होते हैं..।
कल कुछ ऐसा ही हुआ..। इससे पहले कि घटना पर आऊं यह जरूर कहना चाहूंगी कि हमारे देश में मोबाइल खरीदने और एटीएम कार्ड बनवाने की जितनी होड़ है...शायद उतनी किसी और चीज के लिए नहीं होगी। अंदाजे का दामन थामे अनपढ़ भी इसका बखूबी इस्तेमाल कर लेते हैं...। जैसे लाल बटन से कट जाएगा..हरी से बात हो जाएगी...लेकिन इस भीड़ में कुछ पढ़े-लिखे मूर्ख भी हैं...।
कल शाम पीएनबी के एटीएम से पैसा निकालने के लिए लाइन में खड़ी थी..। एक सज्ज्न अंदर थे और न जाने कितनी देर से एटीएम सेवा का लाभ उठा रहे थे..ऐसा इसलिए कह रही हूं क्योंकि मेरे बाहर खड़े रहते-रहते उन्होंने दो बार पैसे निकाले।
तीसरी बार के लिए भी हाथ बढ़ाया ही था कि मैं अंदर केबिन में चली गई..। लखनउवा जबान का पूरा इस्तेमाल करते हुए कहा, भइया मुझे निकाल लेने दीजिए..काफी देर हो जाएगी.. तो वह सज्जन थोड़ा पीछे हट गए। फिर कानूनी ज्ञान देते हुए न जाने मैंने यह क्यों कह दिया कि भइया वैसे भी आप एक बार से अधिक बार ट्रांजिक्ट नहीं कर सकते अगर कोई पीछे हो..। बस फिर क्या था..सज्जन को गुस्सा चढ़ गया..झट लपक फट अपना कार्ड एटीएम के मुंह में डाल दिया...। अवाक खड़ी थी...फिर खुद ही बोले..देरी का वास्ता दिया था इसलिए हट गया था...ये कानून मत सिखाओ मुझे, समझी।
सच कहती हूं कल ही पांच साल की लड़की से बलात्कार वाली खबर पढ़ी थी..दिल्ली में रहने वाली हर लड़की की तरह डरने लगी हूं...सो बहस नहीं की। माफी मांगी और पीछे हट गई..। यकीन कीजिए उन सज्जन ने करीब तीन बार पैसे निकाले और वो भी पांच-पांच सौ। जेबा में डालकर मुझे घूरते हुए बाहर निकल गए..मोटरर साइकिल स्टार्ट कर ही रहे थे तब तक मैं पैसे निकालकर बाहर आ चुकी थी।
बाहर बैठे गार्ड को पूछा, आप यहां कितने साल से नौकरी कर रहे हैं...बोला तीन साल से। मैने कानून के बारे में पूछा तब तक वो सज्जन बाइक बंद करके लौट आए। मैंने गार्ड को कहा इन्हें बताइए कि नियम क्या है...जब गार्ड ने कहा कि मैडम सही कह रही हैं..तब जाकर वह थोड़ा हल्का पड़ा..लेकिन फिर भी कानून मानने के लिए राजी नहीं हुआ..।
इस छोटी सी राह चलती घटना के बाद काफी देर तक सोचती रही कि कानून जानना भी क्या दोष है..क्योंकि कानून का पालन तो इसी समाज में होना है..;लेकिन यह तब तक कैसे हो सकता है जब तक कि कुछ लोगों के लिए कानून कुछ है ही नहीं...।
कल की परिस्थिति मेरे लिए सबकुछ समझते हुए भी मूर्ख बन जाने वाली थी क्योंकि सामने वाले के लिए कानून कोई मायने ही नहीं रखता....।।।
3 comments:
यहाँ नागरिक बोध नहीं है लोगों में- और इसके कारण है बहुत सारे!
बुद्धिमानी से काम लेना कानून जानने से ज्यादा जरुरी है!
कानून सभी को पता है कि रेड सिग्नल पर STOP लाईन से आगे गाड़ी नहीं रोकनी चाहिए. उसकी कौन परवाह करे, अलबत्ता लोग शान से इधर-उधर देखते हैं, और किसी पुलिस वाले को ना पाकर सिग्नल तोड़ कर निकल जाते हैं.
लाजवाब | आभार
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Tamasha-E-Zindagi
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